इस परदेस में, ओ परदेस में
क्यों परदेसी राहें ये~
चलो मन जायें घर अपने ...
आँख जो भाये वो कोरा सपना
आँख जो भाये वो कोरा सपना, सारे पराये हैं कोई न अपना ||
ऐसे झूटे प्रेम में पड़ ना भूल में काहे जियें~
चलो मन जायें घर अपने ...
सच्चे प्रेम की ज्योत जला के
सच्चे प्रेम की ज्योत जला के, मन सुन मेरे कान लगा के ||
पाप और पुण्य की गडरी उठा के अपनी राह चलें~
चलो मन जायें घर अपने ...