Sunday, May 4, 2014

बुद्ध वाणी - 2


चार आर्यक सत्य है...

1. जब तक सृष्टि रहेगी, दुःख मनुष्य के साथ छाया की तरह चलेगा...

2. इस दुःख का कारण है, वस्तु से अपने को पकड़ के रखना... जो वस्तु क्षणा भंगुर  है... तो मार्ग  क्या हो ?

3. मुक्ति के लिए विवेक जगाना आवश्यक है - स्वयं को केन्द्रित रखो. जो आये चाहें दुःख  की सूचना या आनंद की परछाई उसके बिच स्वयं को स्थिर रखो.... 

4. इस मार्ग पर दुःख के बंधन टूटेंगे और परम सत्य की उपलब्धि होगी...

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